ऋषि भी इरफान के साथ मुल्क छोड़ चले।। ऋषि भी इरफान के साथ मुल्क छोड़ चले।।
जज्बात समेटते रह गए खामोशी भेद सारा बोल पड़ी। जज्बात समेटते रह गए खामोशी भेद सारा बोल पड़ी।
चला गया वो मारकर मुझ पे धोखे का खंजर, अपनी मोहब्बत के जनाजे को ख़ुद उठाया मैंने। चला गया वो मारकर मुझ पे धोखे का खंजर, अपनी मोहब्बत के जनाजे को ख़ुद उठाया मैंन...
तुम इश्क हो, तुम इश्क हो सहला सााँसोंं से जिला जाती हो। तुम इश्क हो, तुम इश्क हो सहला सााँसोंं से जिला जाती हो।
ऐसी कोई भूूल, धूल धूसरित दिखा समाज का इक फूल। ऐसी कोई भूूल, धूल धूसरित दिखा समाज का इक फूल।
सफलता धार है सागर की, किनारों से इक दिन टकराएगी !!! सफलता धार है सागर की, किनारों से इक दिन टकराएगी !!!